1.म्यांमार सीमा के अंदर की गई भारतीय सेना की कार्रवाई उजागर करने को लेकर काफी हो हल्ला मचा। ये पहली बार नहीं है कि भारतीय सेना ने ऐसी कोई कार्रवाई की हो। दुनिया के अन्य देश काफी बड़ी कार्रवाइयां करते रहे हैं। आज इस कड़ी में दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी संगठन सीआईए(अमेरिका) के टॉप 10 सीक्रेट मिलिटरी ऑपरेशनों के बारे में बताते है, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो। अगली स्लाइड्स में जानिए सीआईए के टॉप सीक्रेट ऑपरेशंस
2.अमेरिका की ये सबसे खतरनाक खुफिया चाल थी। जिसे दुनिया काफी बाद में समझ पाई। सीआईए ने 1978 में अफगानी सिविल वार के समय इस खतरनाक योजना को अंजाम दिया। दरअसल, उस समय अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर दो कम्युनिस्ट शक्तियां लड़ रही थीं, जिनके सफाए के लिए अमेरिका ने एंटी कम्युनिस्ट विद्रोहियों को तमाम मदद दी। मुजाहिद्दीन को ट्रेनिंग दी, पैसा और हथियार दिए। लड़ाकू विमानों को भी मार गिरा देने की शक्ति दी। हालांकि बाद में ये अमेरिका के लिए ही घातक सिद्ध हुआ लेकिन उस समय अमेरिका की पूरी रणनीति सफल रही और सोवियत रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा।
3.फ्योनिक्स कार्यक्रम को सीआईए ने स्पेशल अमेरिकी फोर्स, ऑस्ट्रेलियन फोर्स और दक्षिण वियतनामी कमांडरों के साथ मिलकर वियतनाम युद्ध के समय चलाया था। इसके तहत उत्तर वियतनामी फौज को नहीं, बल्कि उन आम लोगों को निशाना बनाया गया, जो कम्युनिस्ट को लेकर थोड़ी भी सहानुभूति रखते थे। फ्योनिक्स कार्यक्रम के तहत हजारों आम लोगों का अपहरण किया गया, यातनाएं दी गईं, यहां तक कि मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया, सांपों से डसाया गया, बिजली के झटके दिए गए, यहां तक कि संवेदनशील अंगों को शरीर से अलग कर दिया गया। लोगों को कुत्तों से कटवाया गया, तो घोड़ों के टापुओं से रौंद दिया गया। इसकी असलियत खुलने के बाद इसे बंद कर दिया गया, इसकी जगह एफ-6 कार्यक्रम ने ले ली।
4.इस ऑपरेशन को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 1960 के दशक से वियतनाम युद्ध के काफी बाद तक चलाया। इसके तहत छात्रों तक पर निगाह रखी गई और विरोध की आवाज उठते ही लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। ऑपरेशन केऑस के तहत लाखों अमेरिकियों की जासूसी की गई। ये कार्यक्रम वाटरगेट प्रकरण के बाद बंद कर दिया गया। इसी तरह चलाए गए एक कार्यक्रम का 2011 में खुलासा हुआ, जब सीआईए पर आरोप लगे कि वो अमेरिकी मुस्लिमों की जासूसी कर रही है।
5.सीआईए का ये ऑपरेशन काफी सफल रहा। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के तहत सैकड़ों पत्रकारों की नियुक्ति सीआईए ने की और उन्हें तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराकर पूरी दुनिया की जासूसी कराई। पत्रकार के पकड़े जाने पर कोई भय भी नहीं था, क्योंकि अमेरिकी सरकार इसे खोजी पत्रकारिता का नाम दे देती थी। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को दुनिया भर में विरोधियों की तमाम गतिविधियों का पता चलता रहा। इस कार्यक्रम के खुलने के बाद काफी अमेरिकी पत्रकारों की हत्याएं अमेरिका विरोधी देशों में हुईं। डेनियल पर्ल जैसे मारे गए पत्रकार पर भी सीआईए एजेंट होने के आरोप लगे। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के खुलने के बाद ईमानदार पत्रकारों की जिंदगी पर भी बन आई और पत्रकारिता खतरनाक पेशों में शुमार हो गई।
6.सीआईए ने पाकिस्तान के एटबाबाद में अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले उसकी पहचान सुनिश्चित की। जिसके लिए एटबाबाद में लंबे समय तक टीकाकरण कर डीएनए एकत्रित किए। ये सीआईए का खास कार्यक्रम था, जिसके दम पर ओसामा की पहचान और फिर खात्मा हो सका। पूरे ऑपरेशन को दुनिया ने तब जाना, जब ओसामा को अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन टीम ने मार गिराया।
7.भूमिगत परमाणु ऊर्जा चालित शहर बनाने की योजना सीआईए की थी, जो ग्रीनलैंड में बनाई गई थी। ग्रीनलैंड आधिकारिक रूप से अमेरिका का हिस्सा नहीं है, इसके बावजूद बर्फ के नीचे 200 लोगों के रहने के लिए ये शहर बनाया गया। जहां परमाणु हमले की स्थिति में भी सुरक्षित रहा जा सके। इस छोटे से शहर का पता लगाना बेहद मुश्किल था। जहां जिम, लाइब्रेरी, थिएटर जैसी सुविधाएं थीं। यहां वैज्ञानिकों को रखा गया था। इसे बाद में एक डॉक्यूमेंटरी में भी दिखाया गया। इसे बाद में फौज के हवाले कर दिया गया, जहां 600 परमाणु मिसाइलों को रखा जाना था। इस तरह से रूस पर हमला आसानी से किया जा सकता था, जिसका रूस के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसे रूस की किस्मत समझें या कुछ और। तकनीकी खामियों की वजह से इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया, क्योंकि इस जगह को ठंडा बनाए रखने की वजह से 120 टन बर्फ हर माह नष्ट कर दी जाती थी। ये पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद घातक सिद्ध हुई ।
8.ये कार्यक्रम सीआईए की तरफ से डोमेस्टिक ऑपरेशंस डिवीजन(डीओडी) ने चलाया। इसके तहत सीआईए के लिए खतरा बन सकने वाले उन सभी लोगों की जासूसी की गई, जो सीआईए का विरोध कर सकते थे। ऐसे लोगों की सूची बनाए जाने के साथ ही उनके अतीत की जानकारियां भी जुटाई गईं। प्रोजेक्ट रेसिस्टेंस के दौरान कई लोग रहस्यमय ढंग से गायब हो गए, जिनका अबतक पता नहीं चल सका है।
9.स्टारगेट प्रोजेक्ट अमेरिकी सरकार की तरफ से चलाया गया कार्यक्रम था। जिसके तहत दुश्मनों या विरोधी देशों के सैन्य ठिकानों पर दूरदर्शी उपकरणों की मदद से नजर रखी जाती थी। इसे रिमोट व्यूविंग प्रोग्राम के तहत चलाया गया। जॉर्ज जी मॉएड के किले को सैन्य हेडक्वार्टर में बदल दिया गया। बाद में मामले का खुलासा होने पर प्रोजेक्ट को 1995 में बंद कर दिया गया।
10.ऑपरेशन क्यूफायर को ग्वाटेमाला में चलाया गया, जिसके तहत कम्युनिस्ट नेताओं पर नजर रखी गई। इसी कार्यक्रम की मदद से चे-ग्वेरा को बोलिवियनों ने पकड़ लिया और टॉर्चर करके मौत के घाट उतार दिया। चे-ग्वेरा से मामले के जुड़ने और चे के मारे जाने के बाद सीआईए की काफी बदनामी हुई। हालांकि सीआईए का ये प्रोजेक्ट काफी सफल रहा।
11.ऑपरेशन वॉशटब को सीआईए ने ग्वाटेमाला को सोवियत संघ का नजदीकी बताकर बदनाम करने के लिए चलाया था। इसके तहत सीआईए ने निकारागुआ में फर्जी रूसी जंगी जहाज तैनात कराए। भले ही ऑपरेशन वॉशटब पूरी तरह से सफल नहीं हुआ, पर उस दौरान ग्वाटेमाला को खासी बदनामी उठानी पड़ी। इसी नाम से 1950 के दशक में फ्लोरिडा में भी सीआईए ने ऐसा ही प्रोजेक्ट चलाया। जिसमें 1950-1959 के बीच 89 प्रशिक्षित एजेंट्स सोवियत संघ के प्रशासन को भेदने के लिए भेजे गए। इस प्रोजेक्ट का खुलासा 2014 में अमेरिकी सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों से हुआ
2.अमेरिका की ये सबसे खतरनाक खुफिया चाल थी। जिसे दुनिया काफी बाद में समझ पाई। सीआईए ने 1978 में अफगानी सिविल वार के समय इस खतरनाक योजना को अंजाम दिया। दरअसल, उस समय अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर दो कम्युनिस्ट शक्तियां लड़ रही थीं, जिनके सफाए के लिए अमेरिका ने एंटी कम्युनिस्ट विद्रोहियों को तमाम मदद दी। मुजाहिद्दीन को ट्रेनिंग दी, पैसा और हथियार दिए। लड़ाकू विमानों को भी मार गिरा देने की शक्ति दी। हालांकि बाद में ये अमेरिका के लिए ही घातक सिद्ध हुआ लेकिन उस समय अमेरिका की पूरी रणनीति सफल रही और सोवियत रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा।
3.फ्योनिक्स कार्यक्रम को सीआईए ने स्पेशल अमेरिकी फोर्स, ऑस्ट्रेलियन फोर्स और दक्षिण वियतनामी कमांडरों के साथ मिलकर वियतनाम युद्ध के समय चलाया था। इसके तहत उत्तर वियतनामी फौज को नहीं, बल्कि उन आम लोगों को निशाना बनाया गया, जो कम्युनिस्ट को लेकर थोड़ी भी सहानुभूति रखते थे। फ्योनिक्स कार्यक्रम के तहत हजारों आम लोगों का अपहरण किया गया, यातनाएं दी गईं, यहां तक कि मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया, सांपों से डसाया गया, बिजली के झटके दिए गए, यहां तक कि संवेदनशील अंगों को शरीर से अलग कर दिया गया। लोगों को कुत्तों से कटवाया गया, तो घोड़ों के टापुओं से रौंद दिया गया। इसकी असलियत खुलने के बाद इसे बंद कर दिया गया, इसकी जगह एफ-6 कार्यक्रम ने ले ली।
4.इस ऑपरेशन को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 1960 के दशक से वियतनाम युद्ध के काफी बाद तक चलाया। इसके तहत छात्रों तक पर निगाह रखी गई और विरोध की आवाज उठते ही लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। ऑपरेशन केऑस के तहत लाखों अमेरिकियों की जासूसी की गई। ये कार्यक्रम वाटरगेट प्रकरण के बाद बंद कर दिया गया। इसी तरह चलाए गए एक कार्यक्रम का 2011 में खुलासा हुआ, जब सीआईए पर आरोप लगे कि वो अमेरिकी मुस्लिमों की जासूसी कर रही है।
5.सीआईए का ये ऑपरेशन काफी सफल रहा। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के तहत सैकड़ों पत्रकारों की नियुक्ति सीआईए ने की और उन्हें तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराकर पूरी दुनिया की जासूसी कराई। पत्रकार के पकड़े जाने पर कोई भय भी नहीं था, क्योंकि अमेरिकी सरकार इसे खोजी पत्रकारिता का नाम दे देती थी। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को दुनिया भर में विरोधियों की तमाम गतिविधियों का पता चलता रहा। इस कार्यक्रम के खुलने के बाद काफी अमेरिकी पत्रकारों की हत्याएं अमेरिका विरोधी देशों में हुईं। डेनियल पर्ल जैसे मारे गए पत्रकार पर भी सीआईए एजेंट होने के आरोप लगे। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के खुलने के बाद ईमानदार पत्रकारों की जिंदगी पर भी बन आई और पत्रकारिता खतरनाक पेशों में शुमार हो गई।
6.सीआईए ने पाकिस्तान के एटबाबाद में अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले उसकी पहचान सुनिश्चित की। जिसके लिए एटबाबाद में लंबे समय तक टीकाकरण कर डीएनए एकत्रित किए। ये सीआईए का खास कार्यक्रम था, जिसके दम पर ओसामा की पहचान और फिर खात्मा हो सका। पूरे ऑपरेशन को दुनिया ने तब जाना, जब ओसामा को अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन टीम ने मार गिराया।
7.भूमिगत परमाणु ऊर्जा चालित शहर बनाने की योजना सीआईए की थी, जो ग्रीनलैंड में बनाई गई थी। ग्रीनलैंड आधिकारिक रूप से अमेरिका का हिस्सा नहीं है, इसके बावजूद बर्फ के नीचे 200 लोगों के रहने के लिए ये शहर बनाया गया। जहां परमाणु हमले की स्थिति में भी सुरक्षित रहा जा सके। इस छोटे से शहर का पता लगाना बेहद मुश्किल था। जहां जिम, लाइब्रेरी, थिएटर जैसी सुविधाएं थीं। यहां वैज्ञानिकों को रखा गया था। इसे बाद में एक डॉक्यूमेंटरी में भी दिखाया गया। इसे बाद में फौज के हवाले कर दिया गया, जहां 600 परमाणु मिसाइलों को रखा जाना था। इस तरह से रूस पर हमला आसानी से किया जा सकता था, जिसका रूस के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसे रूस की किस्मत समझें या कुछ और। तकनीकी खामियों की वजह से इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया, क्योंकि इस जगह को ठंडा बनाए रखने की वजह से 120 टन बर्फ हर माह नष्ट कर दी जाती थी। ये पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद घातक सिद्ध हुई ।
8.ये कार्यक्रम सीआईए की तरफ से डोमेस्टिक ऑपरेशंस डिवीजन(डीओडी) ने चलाया। इसके तहत सीआईए के लिए खतरा बन सकने वाले उन सभी लोगों की जासूसी की गई, जो सीआईए का विरोध कर सकते थे। ऐसे लोगों की सूची बनाए जाने के साथ ही उनके अतीत की जानकारियां भी जुटाई गईं। प्रोजेक्ट रेसिस्टेंस के दौरान कई लोग रहस्यमय ढंग से गायब हो गए, जिनका अबतक पता नहीं चल सका है।
9.स्टारगेट प्रोजेक्ट अमेरिकी सरकार की तरफ से चलाया गया कार्यक्रम था। जिसके तहत दुश्मनों या विरोधी देशों के सैन्य ठिकानों पर दूरदर्शी उपकरणों की मदद से नजर रखी जाती थी। इसे रिमोट व्यूविंग प्रोग्राम के तहत चलाया गया। जॉर्ज जी मॉएड के किले को सैन्य हेडक्वार्टर में बदल दिया गया। बाद में मामले का खुलासा होने पर प्रोजेक्ट को 1995 में बंद कर दिया गया।
10.ऑपरेशन क्यूफायर को ग्वाटेमाला में चलाया गया, जिसके तहत कम्युनिस्ट नेताओं पर नजर रखी गई। इसी कार्यक्रम की मदद से चे-ग्वेरा को बोलिवियनों ने पकड़ लिया और टॉर्चर करके मौत के घाट उतार दिया। चे-ग्वेरा से मामले के जुड़ने और चे के मारे जाने के बाद सीआईए की काफी बदनामी हुई। हालांकि सीआईए का ये प्रोजेक्ट काफी सफल रहा।
11.ऑपरेशन वॉशटब को सीआईए ने ग्वाटेमाला को सोवियत संघ का नजदीकी बताकर बदनाम करने के लिए चलाया था। इसके तहत सीआईए ने निकारागुआ में फर्जी रूसी जंगी जहाज तैनात कराए। भले ही ऑपरेशन वॉशटब पूरी तरह से सफल नहीं हुआ, पर उस दौरान ग्वाटेमाला को खासी बदनामी उठानी पड़ी। इसी नाम से 1950 के दशक में फ्लोरिडा में भी सीआईए ने ऐसा ही प्रोजेक्ट चलाया। जिसमें 1950-1959 के बीच 89 प्रशिक्षित एजेंट्स सोवियत संघ के प्रशासन को भेदने के लिए भेजे गए। इस प्रोजेक्ट का खुलासा 2014 में अमेरिकी सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों से हुआ
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