रायपुर: छत्तीसगढ़ के सिमगा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम धोबनी
में 5वीं-6वीं शताब्दी के सोने के तीन दुर्लभ सिक्के मिले हैं। ये सिक्के
स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए खोदे जा रहे गड्ढे की खुदाई में मिले हैं।
सिक्के मिलने की सूचना तुरंत ही प्रधानपाठक एवं शिक्षकों को दी गई। वहीं, पुरातत्व विभाग ने धोबनी पहुंचकर सिक्कों का निरीक्षण किया तो पाया कि सिक्कों पर गरुड़ की आकृति तथा शंख व चक्र बना हुआ। पुरातत्वविदों ने इन सिक्कों को 5वीं-6वीं शताब्दी का बताया है।
ग्राम धोबनी सिमगा ब्लॉक के कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा का आश्रित ग्राम है। यहां के प्राइमरी स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए गड्ढे की खुदाई में लगे भोलाराम एवं परसदास को सोने के सिक्के मिले। पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जी. आर. भगत ने ग्राम धोबनी का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि भोलाराम से दो व परसदास से एक सोने के सिक्के प्राप्त हुए हैं। उनका कहना है कि सिक्के 5वीं-6वीं शताब्दी के हैं। सिक्के सिरभपुरी राजवंश के हैं।
सिक्कों पर गरूड़ की आकृति तथा शंख चक्र बना हुआ है। पुरातत्व विभाग के संचालक राकेश चतुवेर्दी का इस मामले में कहना है कि धोबनी में मिले तीन सिक्कों से छत्तीसगढ़ के इतिहास संबंधी और भी जानकारियां मिल सकती हैं।
सौजन्य: NDTV NEWS
सिक्के मिलने की सूचना तुरंत ही प्रधानपाठक एवं शिक्षकों को दी गई। वहीं, पुरातत्व विभाग ने धोबनी पहुंचकर सिक्कों का निरीक्षण किया तो पाया कि सिक्कों पर गरुड़ की आकृति तथा शंख व चक्र बना हुआ। पुरातत्वविदों ने इन सिक्कों को 5वीं-6वीं शताब्दी का बताया है।
ग्राम धोबनी सिमगा ब्लॉक के कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा का आश्रित ग्राम है। यहां के प्राइमरी स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए गड्ढे की खुदाई में लगे भोलाराम एवं परसदास को सोने के सिक्के मिले। पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जी. आर. भगत ने ग्राम धोबनी का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि भोलाराम से दो व परसदास से एक सोने के सिक्के प्राप्त हुए हैं। उनका कहना है कि सिक्के 5वीं-6वीं शताब्दी के हैं। सिक्के सिरभपुरी राजवंश के हैं।
सिक्कों पर गरूड़ की आकृति तथा शंख चक्र बना हुआ है। पुरातत्व विभाग के संचालक राकेश चतुवेर्दी का इस मामले में कहना है कि धोबनी में मिले तीन सिक्कों से छत्तीसगढ़ के इतिहास संबंधी और भी जानकारियां मिल सकती हैं।
सौजन्य: NDTV NEWS
0 comments:
Post a Comment