नई दिल्ली-घरेलू नौकर या ड्राइवर रखने पर जल्द ही आपको नौकरी के नियम और शर्तों को बताने वाला अपॉइंटमेंट लेटर देना पड़ सकता है। डोमेस्टिक वर्कर्स के अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें बेसिक सोशल सिक्यॉरिटी देने के लिए लेबर मिनिस्ट्री ऐसा प्रपोजल तैयार कर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह कदम अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने की इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) से प्रतिबद्धता के अनुसार उठाया जा रहा है। देश की कुल वर्कफोर्स में अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की हिस्सेदारी 93 पर्सेंट की है।
अधिकारी ने कहा, 'आईएलओ की ओर से देश को इनफॉर्मल से फॉर्मल वर्कफोर्स की ओर ले जाने का काफी दबाव है। देश में इनफॉर्मल या अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर काफी बड़ा है। इसलिए इसे पूरी तरह फॉर्मल करना संभव नहीं होगा। इस वजह से हमने अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने पर सहमति दी है।'
मिनिस्ट्री के प्रपोजल के मुताबिक, एंप्लॉयर्स के लिए मासिक वेतन पर काम करने वाले सभी घरेलू वर्कर्स को फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करना अनिवार्य होगा। अधिकारी ने बताया, 'फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करने से यह पक्का होगा कि डोमेस्टिक वर्कर्स को केवल हेल्पर्स के तौर पर न माना जाए बल्कि उन्हें एंप्लॉयड वर्कर्स समझा जाए, जो एंप्लॉयमेंट के साथ मिलने वाले अधिकारों और सम्मान के पात्र हैं।'
डोमेस्टिक वर्कर्स को लेकर कोई भरोसेमंद आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि देश में लगभग 50 लाख डोमेस्टिक वर्कर्स हैं। इनके योगदान को अक्सर आर्थिक आंकड़ों में जगह नहीं मिलती। देश में 35 करोड़ अन-ऑर्गनाइज्ड वर्कफोर्स में डोमेस्टिक वर्कर्स की हिस्सेदारी लगभग 1.5 पर्सेंट है। ये वर्कर्स विशेषतौर पर शहरी इलाकों में बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल, कुकिंग, ड्राइविंग, क्लीनिंग, ग्रॉसरी शॉपिंग जैसे काम करते हैं।
अपॉइंटमेंट लेटर मिलने से इन वर्कर्स के सामने आने वाली कुछ मुश्किलों को हल किया जा सकेगा। इन वर्कर्स के पास वादे से कम वेतन मिलने की स्थिति में शिकायत करने का कोई जरिया नहीं होता क्योंकि इन्हें लिखित में कुछ नहीं दिया जाता। इनके पास बेसिक हेल्थकेयर, साप्ताहिक छुट्टी, मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं भी नहीं होतीं। इन्हें कई बार खराब व्यवहार का भी शिकार बनना पड़ता है। इसका विरोध करने पर नौकरी जाने का खतरा भी रहता है।
जानकारों का कहना है कि डोमेस्टिक वर्कर्स के लिए अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य किए जाने का काफी विरोध हो सकता है। डोमेस्टिक वर्कर्स से जुड़े कुछ कानून देश में मौजूद हैं। इनमें अन-ऑर्गनाइज्ड सोशल सिक्यॉरिटी ऐक्ट, 2008 और सेक्सुअल हैरसमेंट अगेंस्ट विमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिबिशन ऐंड रिड्रेसल) एक्ट, 2013 शामिल हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में मिनिमम वेजेज शेड्यूल भी हैं, लेकिन अक्सर इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता।
सौजन्य: INDIATMIES NEWS
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह कदम अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने की इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) से प्रतिबद्धता के अनुसार उठाया जा रहा है। देश की कुल वर्कफोर्स में अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की हिस्सेदारी 93 पर्सेंट की है।
अधिकारी ने कहा, 'आईएलओ की ओर से देश को इनफॉर्मल से फॉर्मल वर्कफोर्स की ओर ले जाने का काफी दबाव है। देश में इनफॉर्मल या अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर काफी बड़ा है। इसलिए इसे पूरी तरह फॉर्मल करना संभव नहीं होगा। इस वजह से हमने अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने पर सहमति दी है।'
मिनिस्ट्री के प्रपोजल के मुताबिक, एंप्लॉयर्स के लिए मासिक वेतन पर काम करने वाले सभी घरेलू वर्कर्स को फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करना अनिवार्य होगा। अधिकारी ने बताया, 'फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करने से यह पक्का होगा कि डोमेस्टिक वर्कर्स को केवल हेल्पर्स के तौर पर न माना जाए बल्कि उन्हें एंप्लॉयड वर्कर्स समझा जाए, जो एंप्लॉयमेंट के साथ मिलने वाले अधिकारों और सम्मान के पात्र हैं।'
डोमेस्टिक वर्कर्स को लेकर कोई भरोसेमंद आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि देश में लगभग 50 लाख डोमेस्टिक वर्कर्स हैं। इनके योगदान को अक्सर आर्थिक आंकड़ों में जगह नहीं मिलती। देश में 35 करोड़ अन-ऑर्गनाइज्ड वर्कफोर्स में डोमेस्टिक वर्कर्स की हिस्सेदारी लगभग 1.5 पर्सेंट है। ये वर्कर्स विशेषतौर पर शहरी इलाकों में बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल, कुकिंग, ड्राइविंग, क्लीनिंग, ग्रॉसरी शॉपिंग जैसे काम करते हैं।
अपॉइंटमेंट लेटर मिलने से इन वर्कर्स के सामने आने वाली कुछ मुश्किलों को हल किया जा सकेगा। इन वर्कर्स के पास वादे से कम वेतन मिलने की स्थिति में शिकायत करने का कोई जरिया नहीं होता क्योंकि इन्हें लिखित में कुछ नहीं दिया जाता। इनके पास बेसिक हेल्थकेयर, साप्ताहिक छुट्टी, मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं भी नहीं होतीं। इन्हें कई बार खराब व्यवहार का भी शिकार बनना पड़ता है। इसका विरोध करने पर नौकरी जाने का खतरा भी रहता है।
जानकारों का कहना है कि डोमेस्टिक वर्कर्स के लिए अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य किए जाने का काफी विरोध हो सकता है। डोमेस्टिक वर्कर्स से जुड़े कुछ कानून देश में मौजूद हैं। इनमें अन-ऑर्गनाइज्ड सोशल सिक्यॉरिटी ऐक्ट, 2008 और सेक्सुअल हैरसमेंट अगेंस्ट विमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिबिशन ऐंड रिड्रेसल) एक्ट, 2013 शामिल हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में मिनिमम वेजेज शेड्यूल भी हैं, लेकिन अक्सर इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता।
सौजन्य: INDIATMIES NEWS
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