Ad.

Sunday, July 19, 2015

भारत के ऐसे 17 शक्तिपीठ जिनके दर्शन हर माता के भक्त को करने चाहिए

1. अर्बुदा देवी

अर्बुदा देवी माउंट आबू (राजस्थान) का एक शक्तिपीठ है जो बेहद पवित्र माना जाता है. अर्बुदा पर्वत पर सती के औंठ/”अधर” गिरे थे. जिसकी वजह से इसे अधर या अरबुदा देवी का घर कहा जाने लगा. अर्बुदा देवी को बारिश देने के लिए माना जाता है. राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में बारिश को जीवन और शान्ति हेतु पूजा जाता है. मंदिर आबू की पहाड़ी पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. यहां की गुफा के भीतर एक चिराग लगातार जलता रहता है और भक्त इस प्रकाश को शक्ति का दर्शन कहते हैं. यहां चैत पूर्णिमा और विजया दशमी पर मेले का आयोजन होता है.


2. कौशिक

अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर काशाय पर्वतों पर स्थित है यह शक्तिपीठ. देश के अलग-अलग इलाकों से दर्शनार्थी यहां पूजा-अर्चना हेतु यहां आते हैं. काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आपको यहां पहुंचने के कई साधन मिल जाएंगे

3. हरसिद्धि माता

हरसिद्धि माता की चौकी राजा विक्रमादित्य की मशहूर राजधानी उज्जैन में स्थित है. यह पवित्र स्थान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नज़दीक स्थित है. बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन हेतु आते हैं. यहां के आस-पास के इलाकों में हरसिद्धि माता के चमत्कार के कई किस्से कहे-सुने जाते हैं.


4. सत् यात्रा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 3 मील की दूरी पर और नर्मदा नदी के तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ. इसे सप्तमातृका मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है, जिसका अर्थ ब्राम्ही, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वराही, नरसिंहि और ऐन्द्री होता है. इस तीर्थ स्थल पर इन सभी देवियों के मंदिर हैं. और यहां के प्राकृतिक नज़ारे तो बस आपका मन मोह लेंगे.

5. काली

यह शक्तिपीठ कोलकाता में स्थित है. भागीरथी नदी के तटों पर स्थापित यह मंदिर हावड़ा रेलवे स्टेशन से 5 कि.मी की दूरी पर है. मंदिर के भीतर त्रिनयना, रक्तांबरा, मुंडमालिनि और मुक्ताकेशी की चौकियां स्थापित हैं. पूरे बंगाल में इसे बड़ी श्रद्धा की नज़र से देखा जाता है और इसको लेकर कई चमत्कारिक कहानियां कही सुनी जाती हें. कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस पर साक्षात मां काली की कृपा थी.


6. गुहेश्वरी

गुहेश्वरी नामक यह अति मशहूर पीठ नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है. यह शक्तिपीठ बागमती नदी के तट पर पशुपतिनाथ मंदिर के नज़दीक है. मां गुहेश्वरी का नाम पूरे नेपाल में बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है. नवरात्र के दौरान नेपाल का राजघराना अपने पूरे परिवार के साथ बागमती नदी में स्नान के पश्चात् यहां दर्शन-पूजन हेतु यहां आता है.

7. कालिका

भगवती कालिका का यह शक्तिपीठ कालका जंक्शन के नज़दीक दिल्ली-शिमला रूट पर स्थित है. कहावत है कि शुम्भ-निशुम्भ से के दुराचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए तप करने चले गए थे.
जब मां पार्वती ने पूछा कि वे किसकी स्तुति कर रहे हैं, तभी वहां मां पार्वती का एक और रूप प्रकट हुआ और उनके अश्वेत वर्ण की वजह से उसे कालका नाम से जाना गया.

8. दुर्गा शक्तिपीठ

मां महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती वाराणसी में त्रिकोणीय शक्ति का केंद्र हैं. इन शक्तिपीठों की स्थापना के साथ ही अलग-अलग कुंडों की भी स्थापना की गई थी, जिसमें से लक्ष्मी कुंड और दुर्गा कुंड आज भी वाराणसी में विद्यमान हैं.
इन शक्तिपीठों के अलावा वाराणसी में नवदुर्गा अर्थात् शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, काल रात्रि, महागौरी और सिद्धि रात्रि भी विराजमान हैं.
इन सारे चौकियों की व्याख्या शब्दों में करना बड़ा मुश्किल है, और पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन हेतु यहां आते हैं.

9. विद्धेश्वरी पीठ

यह पुरातन मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा में स्थित है. कांगड़ा रेलवे स्टेशन पठानकोट और योगिन्दरनगर के बीच मेन रूट पर पड़ता है.
इस मंदिर को प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है, और यदि पुराणों को माना जाए तो यहां माता सती का सिर गिरा था. इस मंदिर में मां सती की सिरनुमा प्रतिमा स्थापित है एवं इसके ऊपर सोने का छाता लगा हुआ है. इसके दर्शन हेतु पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है.
 

10. महालक्ष्मी पीठ

मां महालक्ष्मी की यह चौकी कोल्हापुर में स्थित है, जहां किसी जमाने में शिवाजी के वंशज राज किया करते थे. अगर देवी भागवत और मत्स्य पुराण की मानें तो यह पवित्रतम पूजन स्थल है. पूरे महाराष्ट्र में इससे पवित्र स्थल कोई नहीं है, जहां पूरे देश से लाखो श्रद्धालु पूजन हेतु आते हैं.

11. योगमाया

योगमाया मंदिर कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 15 मील की दूरी पर स्थापित है, जिसे क्षीर भवानी योगमाया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
यह मंदिर एक द्वीप पर है जो चारो तरफ पानी से घिरा है. और यहां के पानी का बदलता रंग आपकी इच्छा और कामना के पूरे होने की कहानी कहता है. जेठ मास में यहां एक बहुत बड़ा मेला लगता है.

12. अम्बा देवी

अम्बा देवी का यह मंदिर जूनागढ़ के गिरनार पहाड़ियों पर स्थित है. यह मंदिर काफ़ी ऊंचाई पर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए 6000 सीढ़ियां और तीन चोटियां चढ़नी पड़ती हैं.
यहां तीनों चोटियों पर अलग-अलग मां अम्बा देवी, गोरक्षानाथ और दत्तात्रेय के मंदिर स्थापित हैं. घने जंगलों के बीच मां अम्बा की यह विशाल प्रतिमा और मंदिर अद्भुत नज़ारे प्रस्तुत करता है. यहां की एक गुफा में मां काली का मंदिर स्थापित किया गया है, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है.

13. कामाख्या पीठ

यह अतिप्रसिद्ध और सिद्ध शक्तिपीठ आसाम में गुवाहाटी से 2 मील की दूरी पर स्थित है. कालिका-पुराण के अनुसार यहां मां सती का यौनांग गिरा था. इस पवित्र स्थल को “योनि-पीठ” के तौर पर जाना जाता है जो गुफा के भीतर स्थापित है. यहां एक कुंड भी स्थित है, जिसमें फूलों की भरमार है. इसे महाक्षेत्र के नाम से जाना जाता है.
माना जाता है कि मां भगवती को यहां मासिक धर्म की वजह से रक्तस्त्राव होता है और यह मंदिर इस दौरान बंद रहता है. यहां से 16 कि.मी की दूरी पर प्रसिद्ध “कामरूप” मंदिर स्थित है. इस इलाके में रहने वाली औरतों के मोहपाश में बांधने के किस्से दूर-दूर तक कहे सुनाए जाते हैं.


14. भवानी पीठ

यह पवित्र पूजन स्थल चित्तागौंग से 24 मील की दूरी पर स्थित है जिसे सीताकुंड के नाम से भी जाना जाता है. यह प्रसिद्ध भवानी मंदिर नज़दीक चंद्रशेखर पर्वतों के ऊपरी भाग में स्थित है. यहां “वाराव” नाम का एक कुंड स्थित है. और यहीं नज़दीक में एक कभी न बुझने वाली ज्योति प्रज्वलित रहती है.

15. कालिका पीठ

मां काली के मंदिर के तौर पर फेमस यह बेहद प्राचीन सिद्धपीठ ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ में स्थित है. यहां मंदिर के स्तंभों में आकृतियां उभारी गयी हैं और यहां एक कभी न बुझने वाला दीप भी प्रज्वलित रहता है.
इस किला परिसर में तुलजा भवानी और माता अन्नपूर्णा के भी मंदिर स्थापित हैं.


16. चिंतपूर्णी

होशियारपुर से 30 कि.मी की दूरी पर मां चिंतपूर्णी को समर्पित यह पीठ पर्वतीय इलाकों में अद्भुत छटा बिखेरता है. कांगड़ा घाटियों में स्थित मां चिंतपूर्णी, मां ज्वालामुखी और मां विद्धेश्वरी के रूप मं स्थापित यह तीनों केंद्र हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं. अब बाद बाकी आप जाइए और मां के दर्शन कर आइए.


17. मां विन्ध्यवासिनी

उत्तरप्रदेश के चुनार रेलवे स्टेशन से 2 मील की दूरी पर स्थित यह मंदिर विन्ध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित है. यहां मंदिर का प्रवेश द्वार बड़ा ही संकरा है जैसे कोई खिड़की हो. यहां पूरे उत्तर भारत के लोगों के साथ-साथ कई जानी मानी हस्तियां दर्शन हेतु यहां आती हैं. यहां का दृश्य बड़ा ही मनोरम है. यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

1. अर्बुदा देवी

अर्बुदा देवी माउंट आबू (राजस्थान) का एक शक्तिपीठ है जो बेहद पवित्र माना जाता है. अर्बुदा पर्वत पर सती के औंठ/”अधर” गिरे थे. जिसकी वजह से इसे अधर या अरबुदा देवी का घर कहा जाने लगा. अर्बुदा देवी को बारिश देने के लिए माना जाता है. राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में बारिश को जीवन और शान्ति हेतु पूजा जाता है. मंदिर आबू की पहाड़ी पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. यहां की गुफा के भीतर एक चिराग लगातार जलता रहता है और भक्त इस प्रकाश को शक्ति का दर्शन कहते हैं. यहां चैत पूर्णिमा और विजया दशमी पर मेले का आयोजन होता है.


2. कौशिक

अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर काशाय पर्वतों पर स्थित है यह शक्तिपीठ. देश के अलग-अलग इलाकों से दर्शनार्थी यहां पूजा-अर्चना हेतु यहां आते हैं. काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आपको यहां पहुंचने के कई साधन मिल जाएंगे

3. हरसिद्धि माता

हरसिद्धि माता की चौकी राजा विक्रमादित्य की मशहूर राजधानी उज्जैन में स्थित है. यह पवित्र स्थान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नज़दीक स्थित है. बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन हेतु आते हैं. यहां के आस-पास के इलाकों में हरसिद्धि माता के चमत्कार के कई किस्से कहे-सुने जाते हैं.


4. सत् यात्रा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 3 मील की दूरी पर और नर्मदा नदी के तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ. इसे सप्तमातृका मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है, जिसका अर्थ ब्राम्ही, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वराही, नरसिंहि और ऐन्द्री होता है. इस तीर्थ स्थल पर इन सभी देवियों के मंदिर हैं. और यहां के प्राकृतिक नज़ारे तो बस आपका मन मोह लेंगे.

5. काली

यह शक्तिपीठ कोलकाता में स्थित है. भागीरथी नदी के तटों पर स्थापित यह मंदिर हावड़ा रेलवे स्टेशन से 5 कि.मी की दूरी पर है. मंदिर के भीतर त्रिनयना, रक्तांबरा, मुंडमालिनि और मुक्ताकेशी की चौकियां स्थापित हैं. पूरे बंगाल में इसे बड़ी श्रद्धा की नज़र से देखा जाता है और इसको लेकर कई चमत्कारिक कहानियां कही सुनी जाती हें. कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस पर साक्षात मां काली की कृपा थी.


6. गुहेश्वरी

गुहेश्वरी नामक यह अति मशहूर पीठ नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है. यह शक्तिपीठ बागमती नदी के तट पर पशुपतिनाथ मंदिर के नज़दीक है. मां गुहेश्वरी का नाम पूरे नेपाल में बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है. नवरात्र के दौरान नेपाल का राजघराना अपने पूरे परिवार के साथ बागमती नदी में स्नान के पश्चात् यहां दर्शन-पूजन हेतु यहां आता है.

7. कालिका

भगवती कालिका का यह शक्तिपीठ कालका जंक्शन के नज़दीक दिल्ली-शिमला रूट पर स्थित है. कहावत है कि शुम्भ-निशुम्भ से के दुराचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए तप करने चले गए थे.
जब मां पार्वती ने पूछा कि वे किसकी स्तुति कर रहे हैं, तभी वहां मां पार्वती का एक और रूप प्रकट हुआ और उनके अश्वेत वर्ण की वजह से उसे कालका नाम से जाना गया.

8. दुर्गा शक्तिपीठ

मां महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती वाराणसी में त्रिकोणीय शक्ति का केंद्र हैं. इन शक्तिपीठों की स्थापना के साथ ही अलग-अलग कुंडों की भी स्थापना की गई थी, जिसमें से लक्ष्मी कुंड और दुर्गा कुंड आज भी वाराणसी में विद्यमान हैं.
इन शक्तिपीठों के अलावा वाराणसी में नवदुर्गा अर्थात् शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, काल रात्रि, महागौरी और सिद्धि रात्रि भी विराजमान हैं.
इन सारे चौकियों की व्याख्या शब्दों में करना बड़ा मुश्किल है, और पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन हेतु यहां आते हैं.

9. विद्धेश्वरी पीठ

यह पुरातन मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा में स्थित है. कांगड़ा रेलवे स्टेशन पठानकोट और योगिन्दरनगर के बीच मेन रूट पर पड़ता है.
इस मंदिर को प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है, और यदि पुराणों को माना जाए तो यहां माता सती का सिर गिरा था. इस मंदिर में मां सती की सिरनुमा प्रतिमा स्थापित है एवं इसके ऊपर सोने का छाता लगा हुआ है. इसके दर्शन हेतु पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है.
 

10. महालक्ष्मी पीठ

मां महालक्ष्मी की यह चौकी कोल्हापुर में स्थित है, जहां किसी जमाने में शिवाजी के वंशज राज किया करते थे. अगर देवी भागवत और मत्स्य पुराण की मानें तो यह पवित्रतम पूजन स्थल है. पूरे महाराष्ट्र में इससे पवित्र स्थल कोई नहीं है, जहां पूरे देश से लाखो श्रद्धालु पूजन हेतु आते हैं.

11. योगमाया

योगमाया मंदिर कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 15 मील की दूरी पर स्थापित है, जिसे क्षीर भवानी योगमाया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
यह मंदिर एक द्वीप पर है जो चारो तरफ पानी से घिरा है. और यहां के पानी का बदलता रंग आपकी इच्छा और कामना के पूरे होने की कहानी कहता है. जेठ मास में यहां एक बहुत बड़ा मेला लगता है.

12. अम्बा देवी

अम्बा देवी का यह मंदिर जूनागढ़ के गिरनार पहाड़ियों पर स्थित है. यह मंदिर काफ़ी ऊंचाई पर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए 6000 सीढ़ियां और तीन चोटियां चढ़नी पड़ती हैं.
यहां तीनों चोटियों पर अलग-अलग मां अम्बा देवी, गोरक्षानाथ और दत्तात्रेय के मंदिर स्थापित हैं. घने जंगलों के बीच मां अम्बा की यह विशाल प्रतिमा और मंदिर अद्भुत नज़ारे प्रस्तुत करता है. यहां की एक गुफा में मां काली का मंदिर स्थापित किया गया है, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है.
 13. कामाख्या पीठ
यह अतिप्रसिद्ध और सिद्ध शक्तिपीठ आसाम में गुवाहाटी से 2 मील की दूरी पर स्थित है. कालिका-पुराण के अनुसार यहां मां सती का यौनांग गिरा था. इस पवित्र स्थल को “योनि-पीठ” के तौर पर जाना जाता है जो गुफा के भीतर स्थापित है. यहां एक कुंड भी स्थित है, जिसमें फूलों की भरमार है. इसे महाक्षेत्र के नाम से जाना जाता है.
माना जाता है कि मां भगवती को यहां मासिक धर्म की वजह से रक्तस्त्राव होता है और यह मंदिर इस दौरान बंद रहता है. यहां से 16 कि.मी की दूरी पर प्रसिद्ध “कामरूप” मंदिर स्थित है. इस इलाके में रहने वाली औरतों के मोहपाश में बांधने के किस्से दूर-दूर तक कहे सुनाए जाते हैं.


14. भवानी पीठ

यह पवित्र पूजन स्थल चित्तागौंग से 24 मील की दूरी पर स्थित है जिसे सीताकुंड के नाम से भी जाना जाता है. यह प्रसिद्ध भवानी मंदिर नज़दीक चंद्रशेखर पर्वतों के ऊपरी भाग में स्थित है. यहां “वाराव” नाम का एक कुंड स्थित है. और यहीं नज़दीक में एक कभी न बुझने वाली ज्योति प्रज्वलित रहती है.

15. कालिका पीठ

मां काली के मंदिर के तौर पर फेमस यह बेहद प्राचीन सिद्धपीठ ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ में स्थित है. यहां मंदिर के स्तंभों में आकृतियां उभारी गयी हैं और यहां एक कभी न बुझने वाला दीप भी प्रज्वलित रहता है.
इस किला परिसर में तुलजा भवानी और माता अन्नपूर्णा के भी मंदिर स्थापित हैं.


16. चिंतपूर्णी

होशियारपुर से 30 कि.मी की दूरी पर मां चिंतपूर्णी को समर्पित यह पीठ पर्वतीय इलाकों में अद्भुत छटा बिखेरता है. कांगड़ा घाटियों में स्थित मां चिंतपूर्णी, मां ज्वालामुखी और मां विद्धेश्वरी के रूप मं स्थापित यह तीनों केंद्र हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं. अब बाद बाकी आप जाइए और मां के दर्शन कर आइए.


17. मां विन्ध्यवासिनी

उत्तरप्रदेश के चुनार रेलवे स्टेशन से 2 मील की दूरी पर स्थित यह मंदिर विन्ध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित है. यहां मंदिर का प्रवेश द्वार बड़ा ही संकरा है जैसे कोई खिड़की हो. यहां पूरे उत्तर भारत के लोगों के साथ-साथ कई जानी मानी हस्तियां दर्शन हेतु यहां आती हैं. यहां का दृश्य बड़ा ही मनोरम है. यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


तो भाई साब आप सोच क्या रहे हैं? निकल पड़िए मां के दरबार की ओर. दर्शन भी और रोमांच भी. आख़िर भारत ऐसे ही मंदिरों और मठों का देश थोड़े न है.

 सौजन्य: GAZABPOST NEWS

0 comments:

Post a Comment