
गांव के हंसमुख पटेल का कहना है कि कैंसर तो यहां हमेशा से ही व्याप्त था लेकिन पिछले कुछ सालों में इसको लेकर डर बहुत बढ़ गया है। पहले तो ज्यादातर बूढे लोगों को ही कैंसर होने के मामले सामने आते थे, लेकिन पिछले कुछ समय में हंसमुख पटेल के दो भतीजे युवावस्था में इस बीमारी के शिकार हो गये। युवाओं में भी कैंसर को लेकर डर बढ़ता जा रहा है।
गांव में फिलहाल तो 4 लोगों को ही कैंसर है, लेकिन इसके ख़ौफ और इस बीमारी से जुड़े इतिहास से गांव के बारे में काफी चर्चा होने लगी है। गांववालों का कहना है कि इसकी वजह से सामाजिक तौर पर काफी गलत असर पड़ रहा है। इस वजह से कई लोग अपनी बेटियों की शादी यहां नहीं करना चाहते।
लोगों की परेशानी की वजह एक और है। पास के बहुचराजी मंदिर में जब बड़ा दिन होता है तो हजारों लोग इस गांव से होकर पदयात्रा करते हुए दर्शन के लिए जाते हैं और गांव के लोग इन दर्शनार्थियों के लिए पानी का इंतज़ाम करते हैं।
इस बीमारी की वजह से लोग यहां का पानी पीने में भी संकोच करेंगे।
कैंसर के जानकार कहते हैं कि उन्होंने पहले कभी एक ही गांव में इतने सारे कैंसर के रोगियों के बारे में नहीं सुना। महेसाणा की ही डॉ. निराली त्रिवेदी कहती हैं कि अगर एक ही किस्म का कैंसर हो तो वजह का पता लगाया भी जा सकता है, लेकिन जब मुंह,गर्भाशय,लीवर,स्तन,अलग-अलग किस्म के कैंसर हो तो वजह तय कर पाना मुश्किल है। ऐसे में कारण का पता लगाने में अरसा लग सकता है।
सौजन्य: NDTV
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